व्यंजन शौकिनों को मिलेगी कई व्यवस्थाएं, 56 दुकान को विश्वस्तरीय स्वरूप दिया जा रहा है
प्रदेश ही नहीं देश में इंदौर की शान कहे जाने वाले 56 दुकान का कायाकल्प महापौर और निगमायुक्त का ड्रीम प्रोजेक्ट है अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले महापौर इस ड्रीम प्रोजेक्ट को एक विश्वस्तरीय स्वरूप देना चाहती हैं.
56 दुकानें चैपाटी के अध्यक्ष गुंजन शर्मा से इस विषय में खास बताचीत की। जिन्होंने 56 दुकानों को लेकर कुछ रोचक बाते बताई है। जिससे 56 दुकानों में आने वाले व्यंजनों के शौकिनों को सुनकर- देखकर खुश मिलेगी। उन्होंने बता है कि, 56 दुकान चैपाटी में सबसे पहली व्यंजन दुकान जानी हाट ड़ॉग आई थी, जिसके बाद धीर-धीरे कई दुकानों ने आना शुरू किया, और यह मार्केट 56 दुकानों के नाम से प्रद्धिय हो गया। वहीं उन्होंने बताया कि, शहर के कोने-कोने में कई व्यंजनों की दुकानें लगी हुई है, लेकिन 56 बाजार में सभी प्रकार के व्यंजन एक ही स्थान पर आसानी से मिल जाते है। जिससे 56 दुकानें लोगों के लिये आकर्षण का केंद्र रही है। वहीं उन्होंने 56 दुकानों पर की जा रही व्यावस्था के निर्माण कार्य पर कहा कि, निर्माण कार्य लोगों को कई प्रकार की सुविधा देगा, जिससे आने वाले दिनों में लोग इसका भरपूर फायदा ले पाएगे। और कहा कि, 56 दुकानों को नो व्हीकल जोन घोषित कर, उसका सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यहां कला व संगीत के छोटे कार्यक्रम के लिए माहौल उपलब्ध कराया जाएगा। ऐसी सुविधाएं जुटाई जाएंगी कि लोग यहां मनोरंजन के साथ सार्वजनिक सुविधाओं का लुफ्त उठाते हुए अपना समय व्यतीत कर पाएं।
वही नगरी प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि 2 महीने में 6 करोड़ की लागत से 56 दुकान को वर्ल्ड क्लास फूड जोन में तब्दील किया जाएगाइसके लिए सारी प्लानिंग और सारी व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं
निगमायुक्त आशीषसिंह ने बताया था कि, राजबाड़ा, सराफा और 56 दुकान शहर की पहचान हैं। बाहर से आने वाला व्यक्ति यहां जरूर जाता है। इन बाजारों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत संवारा जा रहा है। विश्वस्तरीय रूप देने के साथ स्थानीय कला, संस्कृति और लोगों के स्वाद से संबंधित बिंदुओं को ध्यान में रखकर प्लान बनाया है।
आपको बता दें की देश भर में दूसरे नंबर पर सबसे स्वच्छ दुकानें और सबसे हेल्दी खाना इंदौर की 56 दुकानों पर मिलता है। जब हॉट डॉग का लोग नाम भी नहीं जानते थे, तब लोग यहां खाने आते थे। एक पान दुकान संचालक दुबई से पान लाकर यहां बेचते थे। धीरे-धीरे चाट, साउथ इंडियन खाने की शुरुआत हुई। 1994 से इसे और भी प्राथमिकता मिली है। नाम इतना बढ़ा कि जब भी कोई बड़ी हस्ती शहर में आती है। तो वह 56 दुकान जरूर जाती है।